नाम से बोस हैं ,अरे वो तो फरिश्ता हैं ,आज़ादी में दी थी कुर्बानी ,मरकर भी आज अमर हैं नाम से बोस हैं ,अरे वो तो फरिश्ता हैं ,आज़ादी में दी थी कुर्बानी ,मरकर भी आज अमर ...
अपने माता पिता अपने माता पिता
जीवन में "अभाव" के अनुभव और उसके प्रभाव की अभिव्यक्ति जीवन में "अभाव" के अनुभव और उसके प्रभाव की अभिव्यक्ति
साहित्य और समाज के समकाल पर एक व्यंग्य कविता। साहित्य और समाज के समकाल पर एक व्यंग्य कविता।
तुम देर रातां तक ख़यालों में दौड़ीं। तुम देर रातां तक ख़यालों में दौड़ीं।
सैकड़ों आँसू यूं ही नहीं खज़ाने में मेरे,जब भी कोई रोता है, उसके आंसू बटोर लाता हूँ. सैकड़ों आँसू यूं ही नहीं खज़ाने में मेरे,जब भी कोई रोता है, उसके आंसू बटोर लाता हू...